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शनिवार, 30 नवंबर 2019

अपनी स्वतंत्रता की चाह

छोड़   क्यों नहीं देते इस दुनिया में मुझे अकेला।                 
   मैं भी तो देखूं  दुनिया ऐ की मेला ।।



                मैं भी उड़ना चाहूं चलना चाहु जब मन हो अकेला।
          क्यों बंद कर रखे हो मुझे इस दुनिया में यूं ही अकेला।।


रात हुई तो सुबह भी हुई दोपहर से शाम हुई।
मैं भी जीना चाहूं औरों की तरह अकेला।।


      राहों में मुझको कोई ना रोके चलने दे मुझे अकेला।
    क्यों मैं तुम का भेद बना छोड़ दे मुझे अकेला।।
     


   
       

                                   

बुधवार, 27 नवंबर 2019

उसने फिर से याद किया

उसने फिर से याद किया न जाने क्यों
कई यादें कई किस्से ओठों पर आकर रुक गई थी
 जब उसने आवाज दिया फिर लौट आई में न जाने क्यों


ना रास्ते  कि पता न मंजिल कि ठिकाना
फिर भी चली जा रही थी न जाने क्यों


जानती थी अंजाम इस रास्ते की
कभी सहम सी जाती, कभी ठहर सी जाति,
एक पल के लिए फिर बिना सोचे चली जा रही थी न जाने क्यों


उस रास्ते पर बैठकर आंखें  बिछाई रहती
कभी इस आश में आह भर्ती कभी खुद को समझाती न जाने क्यों


 हर रोज एक खत लिखा करती
 यह जानते हुए कि कोई पैगाम नहीं  आएगी
फिर भी इसी आश में रहा करती न जाने क्यों


यह रास्ते कट चुकी थी मेरे रास्ते से
फिर भी कभी रास्ते को जोड़ा करती ना जाने क्यों
उसने फिर से याद किया न जाने क्यों

शनिवार, 23 नवंबर 2019

चाह

नैनों की भाषा है
 यह एक जीवन की परिभाषा है
तुम जब से मिले हो 
 मन में बन गई कई आशा है
 नैनो की.............।


हर लम्हा गुजारती हु 
बस तेरी याद में 
एक दो बार नहीं 
 दिन में हजारों दफा निहारती हूं
तेरी ही तस्वीर को, 
तेरी  ही याद में
 नैनो की..................।


तुम आकाश हो मेरे 
मैं हूं तुम्हारी धरा 
तुम फूल हो मेरे 
मैं हूं खुशबू जरा
 नैनो की................।



भूल गई हूं दुनिया सारी
 बस तेरी रह गई हूं मैं
 तोड़ दिया सारे बंधन 
तुझ में बस गई हूं मैं
 नैनो की.................।

मेरे होठों पर बिखरी मुस्कुराहट की आवाज तु है
मेरे चेहरे की चमक की प्रकाश तू है
 क्या पता है तुम्हें?
 मेरे हर शब्दों की अल्फाज तो है
 नैनो की..............................।








भ्रष्टाचार

 सत्ता का हमराज है यह तो भ्रष्टाचार है
 लोकतंत्र के राज्यों में इसका ही गुणगान है
आचार में सुधार करो ,भ्रष्टाचार का का विरोध करो
 सत्ता का हम-----------------------

दिल्ली दिल से जुड़ी है पता नहीं भ्रष्टाचार कहां से उड़ी है
भ्रष्टाचार रोकने का करो उपाय ,बाहर निकलेगी अघोषित  आय।
काले धन का होगा नाश भ्रष्टाचार का करो पर्दाफाश
सत्ता का हम.......…................


काले धन का कोई ना मोल,खुल गई अब इसकी सब पोल
ऐसा धन बेकार है जो कभी ना करे सामाजिक कार्य
भ्रष्टाचार आई है ,लोकतंत्र में छाई है इसमें क्या बुराई है सभी ने तो इसे अपनाई है।
सता का  हम..............................


कोई ना बोले इसकी बोल खुल गई फिर भी इसकी सब पोल।
भ्रष्टाचार की होड़ में ,निकल गए  सब इसकी दौड़ में,
अंदर से सब बाहर आओ ,भ्रष्टाचार को मत बनाओ सतर्क रहे हर क्षण हर पल ,भ्रष्टाचार की ना हो डर।।
 सता का हम .............................

झूठी मिलन

तेरे बिन जैसे बिन फसलें की खेती
 बंजर सी खेती जान पड़ी
 जब तू गया छोड़ मुझे ऐसा प्रतीत भई
तू आत्मा में शरीर पड़ी

 बिन आत्मा शरीर पड़ी
उमड़ी कल थी मिट आज चली
 तू जब आया मिलने को मुझसे
 सारा जहां छोड़ तेरे पास चली

 बातें तेरी जाल साज में फंसती में हर बार चली
उमड़ उमड़ कर मन मेरो, तुमसे मिलने की हर चाल चली।
तेरे यादें तेरी बातें सुनती में हर बार चली।

 भूली बिसरी यादें ताजा करती मैं हर बार चली
 तू जब गया छोड़ मुझे ,बिना आत्मा शरीर जान पड़ी
 उमड़ी कल थी मिट आज चली मैं तो यह आज
जान पड़ी।

Lakir

  क्या लिखा है? हाथों के लकीरों में। कभी गहरा तो कभी फिका उकेरी है इन हथेलियों में में! कुछ किस्से कुछ सबूत छुपी है लकीरों में। रंग उत...