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शनिवार, 13 जून 2020

बदलाव!


आज मैंने एक लड़की को सिसकते हुए देखा!
अपने आंसुओं को उसे छुपाते हुए देखा!!

जो कल थी आसमान की पंछी
उसे आज पिंजरे में  कैद होते हुए देखा!!

जिन कंधों पे स्कूल का कभी थैला था!
आज उसे , उन्ही  कंधों पर  जिम्मेदारियों का बोझ उठाते देखा!!

बचपन में खेला करती थी जो कभी गुड़ियों सें..!
उसे आज खिलौना बनते हुए देखा!


कच्ची उम्र में रिश्तो को बोझ उठाते हुऐ देखा!
जो कभी घर की  राजकुमारी थी!
उसे रिश्तो में  बंधते हुए देखा!!

कभी खुद में मस्त रहा करने वाली को,
आज उसे दूसरों की खुशियां ढूंढते देखा !!

अपनों के लिए खुद उसे मरते हुए देखा !
आज मैंने एक लड़की को औरत बनते देखा!!

कभी खुद मां की ममता में रहने वाली ,
आज  उसे अपनो के लिए ममता लुटाते हुए  देखा!!

कभी अपने कभी अपनो के लिए,
नदियों की जलधारा में बहते हुऐ देखा!!

हां , आज मैंने एक लड़की को औरत बनते  देखा

3 टिप्‍पणियां:

Lakir

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