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सोमवार, 25 मई 2020

Maun huu maii

अंदर से टूटी नहीं हूं ,फिर भी लोग तोड़ रहे हैं!
न जाने क्यों?
आजकल लोग,रिश्तो से मुंह मोड़ रहे हैं!!
  आज भी सब के बिचो निस्सहाय व असुरक्षित
            हु मैं,
    शायद समझ नहीं पा रही हूं
  कौन हूं मैं?
 आज
  भी
  मौन
  हूं
मैं,

  मन में दबी वेदना ना जाने कितनी भरी है
  कभी रिश्तो की मजबूरी
  कभी उम्र के बीच दूरी
इन सबके बीच में,
   पड़ी हूं मैं!

मेरी खामोशी मुझे बुलाती है
अंदर ही अंदर चिल्लाती है
जब गुजरती हूं
मैं अपने अंदर से
खुद को बेघर पाती हूं मैं!!

हर पल,
किसी न किसी कारण
खुद को रुलाती हूं मैं
लोगों के ताने व सोच
मेरे प्रति,
उनकी कही हुई बातें,
मुझ से ही कई प्रश्न,
 आंसू के द्वारा कह जाती है,


मै हर ऐसे बातों पर
  खुद को झूझलाती  क्यु हुं मैं,
मैं आज भी मौन क्यु हूं मैं!!

     

रविवार, 17 मई 2020

लौट आओ ना

बाबा तुम लौट आओ ना
मुझे प्यार से बुलाओ ना
तुम्हारा उंगली पकड़ के चलना तो सीखा
आगे चलना तो सिखाओ ना
कहां गए क्यु गए कुछ तो आकर बताओ ना?


मां की बातों पर मजाक उड़ाओ ना"
बाबा तुम लौट आओ ना!


बड़े-बड़े सपने दिखाए तुम'
उस सपने को देखने
तुम भी तो आओ ना!

कितनी हसरत थी मन में'
मेरे विदाई को लेके"
 उसे पूरा कौन करेगा?
अब कुछ तो कहने आओ ना!!


                                                                                                                                                                                                            कभी कंधे पर बिठाकर मेला दिखाते थे;
पैरों पर खड़ा होना सिखाते थे,

कभी ना भूल पाऊंगी सारी यादें,
आज कुछ कहना चाहती हु"
बाबा तुम सुनने तो आओ ना!

मेरी साहस मेरे रुतवा"
मेरा मान हो बाबा!

मुझ को प्रेरित करने वाले' मेरे अभिमान हो बाबा,
मेरे इस छोटी सी 'आसियान का,जान हो बाबा!!

हम सब तुमसे"
तुम अरमान हो बाबा!
फिर क्यों चले गऎ ,झटक कर हम सबको!

क्यों मौन हो बाबा?
बाबा तुम लौट आओ ना!
मुझे प्यार से बुलाओ ना!!
Maya




वक्त नहीं


हर खुशी है लोगों के पास
पर एक हंसी के लिए वक्त नहीं
दिन-रात दौड़ते इस जहां में                                            खुद के लिए वक्त नहीं!!

मां की प्यार की एहसास तो है,
पर मां को मां कहने का वक्त नहीं
सारे रिश्तों को तो हम                                                  कब के मार चुके हैं,
इस आपाधापी जीवन में,
 अब उन्हें दफनाने का भी वक्त नहीं!!

बड़ी अचरज की बात है
सारे  नाम मोबाइल में है
पर दोस्ती के लिए वक्त नही!!

गैरों की क्या बात करें'
जब अपनों के लिए ही वक्त नहीं
आंखों में नींद तो बहुत है"
पर सोने का वक्त नही!!

दिल है गमो और दुखों से भरा हुआ'
पर इस आपाधापी में,
रोने का भी वक़्त नहीं!!

पराए एहसासों की क्या बात  व कद्र करें'
जब अपने सपनों के लिए ही वक्त नही!!

तू ही बता ए जिंदगी?
इस जिंदगी का क्या होगा?
कि हर पल मरने वालों को"
जीने के लिए भी वक़्त नहीं!!

तुम ही बताओ जिंदगी तुझे ,जीने के लीऎ वक्त नहीं"
हर खुशी है लोगों के पास,
पर खुद के जीवन के लिए वक्त नहीं!!





सोमवार, 4 मई 2020

Byaaa

        Byaa                                                                     ये कैसी बेकरारी है,
वो बस एक चेहरा समझता है
मेरी आँखों में वो
हीरे सा चमकता है
मैं उसके दिल में रहता हूँ
वो मेरे दिल में रहता है

दिनों को चैन नहीं मुझको
ना रातो को नींद आती है
उसकी यादों की तड़पन मुझको
इतना क्यों सताती है
मैं उसकी याद में पिगलता हूँ
वो मेरी याद में जलता है

उसकी आँखों में रोता हूँ
उसके होठो पे हँसता हूँ
खबर उसको नहीं लेकिन
उसके सपनो में सोता हूँ
पर कैसे कहू उससे
उसे मैं कितना प्यार करता हूँ





Kisses par likhuuu


आज फिर सोच में बैठा,क्या लिखूँ,किस पर लिखूँ
कोई एक एहसास तो ऐसा हो,जिस पर लिखूँ

महबूब के पावन प्यार पर लिखूँ
दर्पण में रचते श्रृंगार पर लिखूँ
नमकीन मोहब्बत की बातें लिखूँ
या इश्क की मीठी तकरार पर लिखूँ

दुनिया की दुनियादारी पर लिखूँ
पैसे की बढती खुमारी पर लिखूँ
महंगी कारों में बैठे लोगो पर लिखूँ
या कहीं रोटी की लाचारी पर लिखूँ

राजनीति में भिखरे खून पर लिखूँ
खून पे होती राजनीति पर लिखूँ
करोडो की चढ़ती माला पर लिखूँ
या माला पर चढ़ती कूटनीति पर लिखूँ

स्वार्थी होते एहसासों पर लिखूँ
पैसे पर बिकते जज्बातों पर लिखूँ
धोखे में डूबे दिन पर लिखूँ
या अय्यासी में भीगी रातो पर लिखूँ

तड़प रही कलम मेरी,भावना विहीन हो अब
तुम ही बताओ प्रिय,क्यों ऐसे संसार पर लिखूँ …,,,,,,,,,,, 

शुक्रवार, 1 मई 2020

इस झूठे करुणा मैं मन को धिक्कार है
मन में उठा विचार बार-बार है!

हिंदू मुस्लिमों की जंग हुई बार-बार है
जो ना कभी सुलझी है ना सोचे कि यह हमारा कह नाम है!

खबर

खबर सुनकर के ही अलग-अलग मन में कई तरह के प्रश्न प्रकट होते हैं,जब किसी तरह की खबर आते हैं तो एक खबर से पूरी तरह से जीवन की उलट-पुलट हो सकती है
चल रहे कार्य स्थगित हो सकती है,
उस सूचना से आप के प्रति लोगों की सोच में बदलाव देखने को मिल सकता है,
खबर ना हो गया हो मान लो ,जीवन के अंतिम चरण का पड़ाव आ गया हो!
कितने आश्चर्य की बात है एक खबर से किसी की सोच को उस खबर के प्रति सोच बिल्कुल विपरीत हो सकती है!
एक खबर से आपके हर्षित मन तन को दयनीय अवस्था तक पहुंचा सकती है"
एक सूचना मात्र से आप की मनोदशा बदल सकती है,हो सकता है हृदय आघात भी हो जाए किसी के विश्वास की अविश्वास का पात्र बन सकते हैं'
एक  खबर के कारण आपको नहीं चाहते हुए सोचने पर विवश हो सकते है,
खबर मुलत: दो  प्रकार के होते हैं एक सुगम/शुभ, अत:  असुगम/अशुभ ,
यह जरूरी नहीं कि जो खबर आई है या आने वाला हो उसके लिए तत्पर हम तैयार हैं!
आज के समय में बिना खबर के जीवन की कल्पना करना भी कठिन है"
खबर आज के दौर में ही नहीं बल्कि हमेशा से है' पहले और आवश्यक सूचना है!
जिसे सभी लोग सुनने के लिए तत्पर तैयार रहते हैं, खबर से ही हमें किसी के जीवन में या देश दुनिया में क्या हो रहा है ?क्या होने वाला है ?  खबर के अनुसार ही आगे कुछ सोच सकते हैं!
अपने जीवन से लेकर अन्य लोगों के दिनचर्या में क्या घटित हो रही है घटनाओं से भी अवगत कराते हैं'!
खबर हमें खेल नीतियां धर्म समाज अर्थव्यवस्था भोजन रोजगार परिस्थितियों से भी अवगत कराता है!
इस खबर मात्र से आप की छवि पर लोगों को तंज कसने का मौका भी मिल सकता है,उनकी नजरिया में सोच आपके प्रति बदल सकता है!
इस खबर से आपके जीवन के लिए पूरी तरह से हिल सकती है/या बन सकती है!
और तो और उसकी खबर से आपको यह चाहने को मार सकता है कि आप के प्रति असल मे" किस किस  कि किस तरह के विचार है!
आप भली-भांति अवगत हो सकते हैं,
एक खबर से आपको अपने अंदर के धैर्य  और संहन  शक्ति और उसके साथ नकारात्मक और सकारात्मक की ओर बढ़ने व सोचने के प्रति कितना अग्रसर कर सकता है!
यह खबर आपको कितना गंभीर व प्रभावशाली बना सकता है!

और तो और सूचना के कारण या तो पूरी तरह से सुलझ सकते हैं आप या तो बुरी तरह से उलझ सकते हैं"
खबर के कारण आपके अंदर के निर्णय लेने की शक्ति को  अझुण कर सकता है!
खबर

Lakir

  क्या लिखा है? हाथों के लकीरों में। कभी गहरा तो कभी फिका उकेरी है इन हथेलियों में में! कुछ किस्से कुछ सबूत छुपी है लकीरों में। रंग उत...