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मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

Lakir

 

क्या लिखा है?

हाथों के लकीरों में।

कभी गहरा तो कभी फिका
उकेरी है इन हथेलियों में में!

कुछ किस्से कुछ सबूत
छुपी है लकीरों में।

रंग उतरे इन लकीरों पर।
कई कहानियां
जागती इधर-उधर
रात के पहर!

अनायास ही
नजर पड़ती है जब इन पर।

सोचने लगती हूं मैं
क्या कहती है यह लकीरे?

जब से
जन्म लीया
तब से यूं ही बैठी है इन हाथों पर।

जीती जागती
कई सड़कों से
मूकदर्शक बनकर।

माया

शनिवार, 12 सितंबर 2020

एक ख्वाब



एक ख्वाब थी जीवन का
जिसमें साथ हो सब का

सब
हंसे ,
जग रोए ना!
कोई गम ना  हो अपनों का।

यूं तो हमने कभी सोचा नहीं
कि इस कदर बिखर जाएंगे
और उम्मीद ही
ना रह पाएगी अपनों से अपनों का।

मौसम के इस अदला-बदली में
कई रंग
बेरंग लाएगी और अश्क बन कर बहेगी।
कुछ पुराने पत्तों सी
पलको सा!

देखें अब क्या है ?
इस किस्मत में कुछ अपनो सा!

मुस्कुराहट या फिर कोई नई नुमाइश
जिंदगी के तउल में
उलझ कर रह गई
खुद से खुद के सपनों सा!!

माया

बुधवार, 5 अगस्त 2020

मनचलों लड़कों के ऊपर कविता

लड़की के पीछे घूमत है
सब लड़के आवारे, 
मन भर जाए तो 
ब्रेकप करके कल्टी वो मारे
हर आशिक़, माशूक़ा को,
समझे बाप की खेती है

अब छोड़ दे पीछे पीछे आना तू
बातें ऐसी मीठी मीठी ना बनाना तू
है मुश्किल, बड़ा मुश्किल
बड़ा मुश्किल है फुसलाना

लड़किया कोई है, 
टिश्यू पेपर नही
जो चल देते है हाथ पोंछ के, 


तेरे फ़ितरत में है धोखा
तेरी नियत में है धोखा
बेवफा के नाम से मशहूर है तू
हा मशहूर बड़ा ही मगरूर है तू

लड़किया भोली भाली
पिघल जाती है,
ये पटा लेते है स्वीट बोलकर



Arman

बातों बातों में जो बातें नई होगी
कई रात न जाने कितनी मचली होगी!

तेरे सिरहाने याद भी मेरी
रात भर शम्मा -सी कटी होगी!

जिससे निकला है आफताब मेरा
वो तेरा घर तेरी ही गली होगी!

दोस्तों को पता चला होगा
दुश्मनों सी खलबली होगी!

सबने तेरी तारीफ की होगी
मैं कुछ ना कहा तो
  यह कमी होगी!

तेरी होठों को चुम्मु
अौर नशा छा जाए
तो ए मयकशी होगी!

तुम मेरी हो मैं तुम्हारा
अगर यह ना कहु
तो भुल मेरी होगी!

याद के चांद दिल में हो
और तुम ना आओ
ऐसी कोई दिन ना होगी!

रात तन्हा और तुम्हें ना सोचु
तो ए कमी होगी!
माया



ए जिंदगी

ए जिंदगी तु इतना क्यों रुलाती है मुझे!
तू नहीं तो मैं नहीं
फिर इतना क्यों तड़पाती है मुझे!!

जब मैं भीड़ में गुम  जाती हूं!
फिर अकेला  क्यों पाती है मुझे!!

ऐसी भी क्या रुसवाई मुझसे!
जो हर वक्त 
अपनों में तउल झाती हो मुझे!!

जब-जब भी तन्हा हो ना चाहुं!
फिर क्यों पास बुलाती हो मुझे!!

आंखों में मेरी !
जज्बातों के अशक हैं
कोई समंदर नहीं 
फिर इतना क्यों रुलाती हो मुझे!!


मिट्टी

मिट्टी से मिट्टी तक!
मिटी मे मिल जाना हैं!!

फिर काहे की अमीरी गरीबी!
काहे की अफसाना है!!

फिर काहे की रोना-धोना!
फिर काहे का इतराना है!!

मिट्टी के शरीर मिट्टी में मिल जाना है!
एक ही तो जीवन है
बस कर्म करते जाना है!!

कुछ अनकही पंक्तियां



करीले जवनिया अलग ए हमार
माई हम लइके  रहती,
जइती न केहु के द्वार
.....माई हम लइके रहती.....


हर वक्त अपनी अदाओं से लुभाते रहना
मैं इजहार ए- इश्क करूं
....  और तुम शर्माते रहना....


यह इश्क की 
सीढ़ियां बड़े उल जुलुल होते हैं,
चाहत किसी और की
....कोई और कबूल होते हैं ,......



तत्काल कार्रवाई की जाए
 इश्क मे ना कोई पड़े
ऐसा कोई
 .   दवा दी जाए😋...



ना हाथ थाम सके हमें
ना पकड़ सके दामन
इतने करीब से गुजरी फिर भी
...ना जान सके हम..



इतने बुरे नहीं  हैं हम 
जितने लोगों को कहना है
बस किस्मत खराब है जनाब,
..इसलिए मुह पे पहरा है...



हम उन्हें चाहे और 
वह 
वो मेरे हो जाए,
इतनी वफा तो
..कोरोना ही हो सकती....






Lakir

  क्या लिखा है? हाथों के लकीरों में। कभी गहरा तो कभी फिका उकेरी है इन हथेलियों में में! कुछ किस्से कुछ सबूत छुपी है लकीरों में। रंग उत...