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बुधवार, 5 अगस्त 2020

मिट्टी

मिट्टी से मिट्टी तक!
मिटी मे मिल जाना हैं!!

फिर काहे की अमीरी गरीबी!
काहे की अफसाना है!!

फिर काहे की रोना-धोना!
फिर काहे का इतराना है!!

मिट्टी के शरीर मिट्टी में मिल जाना है!
एक ही तो जीवन है
बस कर्म करते जाना है!!

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