मिटी मे मिल जाना हैं!!
फिर काहे की अमीरी गरीबी!
काहे की अफसाना है!!
फिर काहे की रोना-धोना!
फिर काहे का इतराना है!!
मिट्टी के शरीर मिट्टी में मिल जाना है!
एक ही तो जीवन है
बस कर्म करते जाना है!!
क्या लिखा है? हाथों के लकीरों में। कभी गहरा तो कभी फिका उकेरी है इन हथेलियों में में! कुछ किस्से कुछ सबूत छुपी है लकीरों में। रंग उत...
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