यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 3 दिसंबर 2019

मोह माया (पैसा)

 माया हूं मैं माया हूं    ।                                                                  जग में पूरी छाया हूं।।

जाने कब जाने कहा।                                                                कितने को नचाया हूं।।

दुनिया का माया हूं।
       सब में समाया हूं।।

 शांति और सुख का गला दबाया  हूं                               छोटी-छोटी सत्ता को लेकर आपस में लड़वाया  हूं।।

माया हु मैं माया हु।
         सबको बुरी तरह नचाया हूं।।

2 टिप्‍पणियां:

  1. इस माया का कमाल बाखूबी लिखा है ...
    सच लिखा है ... उत्तम लिखा है ... माया का ही कमाल है जो लिखा है ...

    जवाब देंहटाएं

Lakir

  क्या लिखा है? हाथों के लकीरों में। कभी गहरा तो कभी फिका उकेरी है इन हथेलियों में में! कुछ किस्से कुछ सबूत छुपी है लकीरों में। रंग उत...