यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2020

आज वीरो की याद आई हैं।

14फरवरी शहीद वीरो की सटेटस आज सभी ने लगाई हैं।                    यह रीति मैंने भी निभाई है,                                                                       
इन हतयारो को ,     ईन कुकर्मों के लिए किसी ने तो बुलाया हैं
हम सब कि जानो के लिए,    उन्होंने अपने जान गवाया हैं।।


विरो कि यादो मे आज  सटेटस सभी ने लगाया है.
हम मे से किसी भेड़िये ने यह आंतक  मचाया हैं।।

माँँ  ने विरो की यादो मे ममता की आंचल फैलाई है
आज फिर अपने कलेजो की टुकड़े को।
सरहद पर चलाई है।।

उन दिनों 
को याद किया तो मेरे आँखें भर आई हैं,
आज ही की दिन विरो ने अपनी जान गवाई है
आज ही की दिन विरो ने तिरंगे मे लिपटे आऐ थे।।

ऐ नफरत की आलम आज सीने मे जल आई है,
शहिद विरो की सटेटस सभी ने आज लगाई हैं।
यह रीति मैंने भी अपनाई हैं।।






कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Lakir

  क्या लिखा है? हाथों के लकीरों में। कभी गहरा तो कभी फिका उकेरी है इन हथेलियों में में! कुछ किस्से कुछ सबूत छुपी है लकीरों में। रंग उत...