यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 2 जून 2020

छाया हैं

जहां देखो हर तरफ सबकी अपनी छाया है,
खुद में लिपटे प्रतिशोध कदमों से डगमगाया है',

फिर भी तुझसे दूर जा न पाया है,
तेरे हर एक कदम को अपने कदम में पाया है

छाया तुझसे कुछ नहीं पाया है
जिंदगी में बस खुद को बेघर पाया है',

जहा जाऊ वहा साथ तुझको पाया हैं,


     

1 टिप्पणी:

Lakir

  क्या लिखा है? हाथों के लकीरों में। कभी गहरा तो कभी फिका उकेरी है इन हथेलियों में में! कुछ किस्से कुछ सबूत छुपी है लकीरों में। रंग उत...